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घर के मुख्य द्वार का वास्तु ठीक कैसे करे

नया बिहार दर्पण डेस्क

इन्द्र भूषण प्रसाद

 

घर का द्वार पूर्व, ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम दिशा में से किसी एक में होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो किसी वास्तुशास्त्री से सलाह लें। मुख्य द्वार की दिशा ही घर को शुभ या अशुभ नहीं बनाती। किसी भी वास्तु विचार के लिए जल, अग्नि एवं वायु का ध्यान रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। यदि घर का समस्त वास्तु ठीक व नियम के अनुसार हो, तो सिर्फ दिशा का महत्व कम हो जाता है। आइए जानते है मुख्य द्वार से जुड़े वास्तु दोष के निवारण के लिए ये वास्तु उपाय।

 

वास्तु दोष निवारण टिप्स

 

घर का मुख्य द्वार पूर्व में मध्य में न होकर उत्तर पूर्व की ओर या दक्षिण पूर्व की ओर होना चाहिए। घर का मुख्य दरवाजा दक्षिणमुखी नहीं होना चाहिए, अगर मजबूरी में दक्षिणमुखी दरवाजा बनाना पड़ गया हो, तो दरवाजे के सामने एक बड़ा सा आईना लगा दें।

 

द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।

 

वास्तु विज्ञान के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से नौ अंगुल लंबा, नौ अंगुल चौड़ा स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। ऐसा करने से चारों ओर आ रही नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और वास्तुदोष भी हटता है।

 

दरवाजे के ऊपर भगवान गणेश का चित्र और दाएं-बाएं स्वस्तिक के साथ लाभ-शुभ लिखा हो

 

घर का मेन गेट दक्षिण-पश्चिम दिशा ओर कभी नहीं होना चाहिए। अगर घर का मेन गेट दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर है तो आप वास्तु दोष  के निवारण के लिए घर के मेन गेट में तुलसी का पौधा दोनों तरफ लगाये इससे घर में नकरात्समक ऊर्जा का वास नहीं होता है।

 

द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने

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